मुंडा विद्रोह
मुंडा विद्रोह एक सुधारवादी प्रयास के रूप में आरंभ हुआ! इस विद्रोह के संस्थापक बिरसा मुंडा का जन्म 1815
में रांची के चालकध गांव में हुआ था! इन्होंने अंग्रेजी की शिक्षा प्राप्त किया था इसलिए इन्हें ईसाई धर्म की भी जानकारी थी तत्कालीन सामाजिक जीवन में जो मौलिक परिवर्तन आ रहे थे उनके कारण आदिवासी समाज में चिंता का वातावरण था !
बिरसा मुंडा ने इसे दूर करने के लिए एक आदर्श प्रस्तुत किया! इन्होंने नैतिक आचरण की शुद्धता आत्म सुधार और एकेश्वरवाद का उपदेश दिया उन्होंने अनेक देवताओं को छोड़कर एक देवता की आराधना का उपदेश दिया अपने अनुयायियों को दिया उन्होंने बताया कि सिंह बंगा गूंगा की दया से समाज में फिर एक आदर्श व्यवस्था आएगी और शोषण का काल समाप्त होगा !उसने ब्रिटिश सत्ता का अस्तित्व स्वीकार करते हुए अपने अनुयायियों को लगाना nhiदेने का आदेश दिया !
उनके उपदेशों का से प्रभावित होकर उन्होंने अनुयायियों से आंदोलन को व्यापक प्रसार दिया आंदोलन की बढ़ती हुई लोकप्रियता से सरकार को चिंता हुई और 24 अगस्त 1895 को गिरफ्तार कर लिया गया और नवंबर 1895 में उन पर मुकदमा चलाकर जेल की सजा दे दी गई!
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महारानी विक्टोरिया की हीरक जयंती के अवसर पर 1898 बिरसा मुंडा को रिहा किया गया1 अब आंदोलन ने फिर से जोड़ लिया 1899-1900 के बीच बिरसा मुंडा ने अपने प्रचारकों के साथ अनेक स्थानों पर प्रचार कार्य शुरू किया और उन्हें विदेशी शासकों के विरुद्ध युद्ध के लिए तैयार किया विस्ता के अनुयायियों ने यूरोपियन पर छापेमारी की जिससे हिंसक घटनाएं हुई थी !
3 फरवरी 1900को बिरसा मुंडा को बंदी बना लिया गया और 30 मई को के कारण बिरसा मुंडा की मृत्यु हो गई जिससे इस आंदोलन का अंत हो गया लेकिन परिणाम उत्साह रहा!
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