महात्मा गांधी का राजनीतिक दर्शन क्या है
गांधीजी के अनुसार औपनिवेशिक सत्ता या ब्रिटिश सत्ता के द्वारा भारतीय जनता के मन में दो प्रकार की धाराएं थी इन्हीं पर उनका अर्थ संरक्षण का स्वरूप खराब था यह धाराएं थी पहली जो शिक्षित भारतीय थे वह विदेशी शासक को अपना शुभचिंतक मानते थे और दूसरी धाराएं यादें की जो अशिक्षित लोग थे वह यह मानते थे कि या पराजित नहीं किया जा सकता गांधी जी ने अपने तकनीक द्वारा
इस औपनिवेशिक सत्ता को अंगणवाडी स्वरूप को चुनौती दिया गांधीजी इसके लिए एक लंबे संघर्ष की तैयारी कर रहे थे और औपनिवेशिक सत्ता के राजनीतिक वर्चस्व की लड़ाई लड़ रहे थे इसके लिए गांधीजी विभिन्न माध्यम से जनता को प्रभावित कर रहे थे गांधीजी के इस राजनीतिक तैयारी को तैयारी संघर्ष तैयारी की रणनीति माना गया
गांधीजी के प्रत्यक्ष संघर्ष के पश्चात थोड़े काल के लिए अवकाश लेकर आगे की संघर्ष की तैयारी करते थे इससे इस बात की व्याख्या करने में मदद मिल सकती है कि एक व्यापक आंदोलन को अनिश्चितकाल तक या लंबे समय तक नहीं चलाया जा सकता है
गांधीजी के तकनीक में सत्याग्रह एवं अहिंसा को अधिक महत्व दिया गया गांधीजी ने अपनी आत्मकथा में स्वीकार किया है कि उनके अभिभावकों के दृष्टिकोण एवं उनके स्थान पर उपस्थित सामाजिक एवं धार्मिक वातावरण में उनके व्यापक रूप से प्रभावित किया उनकी प्रारंभिक विचार पर प्रभावित किया था गांधीजी के अनुसार श्रीमद्भागवत गीता का भी प्रभाव पड़ा है इसके अतिरिक्त के चेयरमैन ऑफ द माउंट टॉलस्टॉय स्कीम के लेखनी में भी उनके चिंतन को प्रभावित किया था लेकिन इन सब के साथ-साथ उनके विचारधारा के विकास और दिशा निर्धारण में सार्थक योगदान उनके जीवन का व्यक्तिगत अनुभव था
गांधीजी के विचार धारा का सबसे मुख्य पानी सत्याग्रह है जिसका तात्पर्य होता है पवित्र शादी के लिए पवित्र साधन का उपयोग करना इससे गांधी जी ने साधन की पवित्रता पर आर्थिक बल डाला यही सत्याग्रह भारत के स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण पहलू बना गांधीजी के अनुसार हिंसा के स्थान पर सत्याग्रह का प्रयोग करने का तात्पर्य स्वयं करें इस प्रकार किया जाना चाहिए कि शत्रु को अपनी बात मनवाने के लिए उसके हृदय को बदला जा सके गांधी जी ने सत्याग्रह और निष्क्रिय प्रतिरोध के बीच अंतर क्या उन्होंने लिखा है
कि निष्क्रिय प्रतिरोध एक कमजोर व्यक्ति का अर्थ है जिसमें हिंसा और शारीरिक शक्ति का प्रयोग किया जा सकता है जबकि सत्याग्रह शक्तिशाली व्यक्ति का अस्त्र है क्योंकि इसमें किसी प्रकार का हिंसा का प्रयोग नहीं है वास्तव में गांधीजी के सत्याग्रह मात्र एक राजनीतिक अर्थ नहीं था बल्कि उनके जीवन दर्शन और व्यवहार का हिस्सा था
सत्याग्रह के साधन के रूप में गांधीजी ने अहिंसा को अपनाया इस प्रकार सत्याग्रह का आधार है गांधी जी ने इस बात पर महत्व दिया कि व्यक्ति को अपने राजनीतिक उद्देश्य की प्राप्ति के लिए अहिंसात्मक सत्याग्रह का प्रयोग करना चाहिए किंतु हिंसा की व्याख्या उन्होंने अपने अनुसार किया है इस तकनीक का सबसे बड़ा लाभ यह हुआ कि उन्होंने नियंत्रित आंदोलन के परिदृश्य में समाज के समस्त वर्गों के हितों को जोड़ दिया गांधीजी के पहले भारतीय राजनीतिक उदारवादी शिक्षा वृद्धि और व्यक्तिगत क्रांति के बीच झूलती रहे जबकि सत्याग्रह की राजनीति में पारिश्रमिक सभी लोग एक साथ करके भाग लिए क्योंकि इससे कहीं से भी अतिवादी आंदोलन का खतरा नहीं था यदि को माना जाए तो यह भी कहा जा सकता है कि राजनीतिक साधनों में अंग्रेजों से बराबरी करने का सर्वोत्तम साधन था
गांधी जी ने talstay और toskin उनके विचारों ग्रहण करते हुए सर्वोदय प्रबल डाला का विचार की है कि सभी के हित में ही व्यक्ति का हित है के आधार पर भारत में हुए वर्ग संबंध में प्रबल डालते थे भारत विभिन्न धर्म जाति भाषा के वर्गों का देश है इसलिए समन्वयक था क्योंकि राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्राम में सभी वर्गों का सहयोग आवश्यक था गांधी जी ने एक तरफ धनी वर्ग के विशेषाधिकार को बने रहने दिया तो दूसरी तरफ निर्धन व्यक्तियों को स्थिति में सुधार के लिए उन्होंने कुछ कार्य किए जैसे खादी ग्रामोद्योग ग्रामीण कार्यक्रम इत्यादि उनके सभी वर्गों का समर्थन प्राप्त हुआ
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