अब तक का सार्थक संगठित और विस्तृत विद्रोह था महान हलचल भी कहा जाता है रांची एवं सिंह भूमि के क्षेत्र में बिरसा मुंडा के नेतृत्व में हुए इस आंदोलन की मूल चिंता थी कि आंतरिक सुधार बाय तत्वों के बीच की समाप्ति एवं स्वतंत्र मुंडा राज्य की स्थापना बिरसा मुंडा ने तत्वों के पुत्र के विरुद्ध सफल संघर्ष के दृष्टिकोण से अधिक सुधार को जरूरी था मुंडा जनजाति थी और सफल कर सकती थी ,विरसा जन्म से मुंडा जनजाति का सदस्य और आरंभ में इसाई एवं बाद में वैष्णव संत के प्रभाव में रहा ,उनके विचारों घोषणाओं में हिंदू धर्म ईसाई धर्म एवं मुंडा राजनीति का मिश्रण था उसने निरर्थक कर्मकांड और प्रासंगिक परंपरा को छोड़ ईश्वर में आस्था पर जोड़ दिया बहु उद्देश बाद की जगह एकेश्वरवाद त्व का अंत करने और आदर्श समाज की स्थापना के लिए भेजा है
उसने प्रार्थना सभाओं का आयोजन किया जिसमें वह अधिक सुधार से संबंधित उपदेश देता था साथ ही घोषणा के विरुद्ध साहस का परिचय देने की अपील करता था उसके उपदेशों में आचरण की शुद्धता नैतिकता और आत्म सुधार पर विशेष जोर होता था उसमें लगान ना देने एवं विदेशी सत्ता के विरुद्ध संघर्ष का आवाहन किया धीरे धीरे उसे प्रभावित लोगों की संख्या बढ़ने लगी और 6000 समर्पित झाड़ू मुंडा लोगों को जेल तैयार हो गया शासन के तमाम प्रतीकों संस्थाओं अधिकारियों महाजनी जमींदारों एवं ठेकेदारों के विरुद्ध हिंसा एवं आगजनी की घटनाएं घटी शासन के द्वारा गिरफ्तारी एवं नरसंहार का क्रूर दमन चक्र चलाया गया गिरफ्तार हुए फिर उन्हें रिहा कर दिया गया लेकिन 1900 में कैद कर लिया गया
और जेल में ही हैजे से उनकी मृत्यु हो गई क्रूर दमन चक्र एवं नेतृत्व हिंसा के कारण विद्रोह का अंत हुआ लेकिन यह विद्रोह असफल नहीं रहा एक और मुंडा लोगों में अंतरिक्ष उधार की प्रेरणा का संचार हुआ दूसरी और शासन की भी सुधार करना पड़ा 1902 में छोटा नागपुर के क्षेत्र भू सर्वेक्षण कराया गया तथा 1908 में छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम बनाया गया बेठ बेगारी खत्म कर दी गई तथा खुंत कुट्टी को मान्यता दी गई जनजातियों में तमाम शोषण की की जड़ विकसित हुई ब्रिटिश राज के चरित्र कि समाज विकसित हुई परिणाम स्वरूप ताल के अंतर में राष्ट्रीय आंदोलन में जनजातियों की अपनी सक्रिय भागीदारी निभाई
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